Mantrochar.com: हिंदू धर्म की अद्वितीय समृद्धि और आध्यात्मिकता का स्रोत। यहाँ आपको मिलेंगे शक्तिशाली मंत्र, श्लोक, चालीसा, आरतियां, अष्टकम, स्तोत्र, सहस्रनाम, और स्तुतियां सहित हिंदू धर्म से जुड़ी सभी आवश्यक जानकारियां।
हवन एक पवित्र धार्मिक क्रिया है, जिसे घर में शांति, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा लाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस प्रक्रिया में अग्नि में हवन सामग्री अर्पित की जाती है और विशेष मंत्रों का जाप किया जाता है। हवन की सफलता के लिए सही हवन सामग्री का चयन और उसका उपयोग बेहद आवश्यक […]
सोलह सोमवार व्रत सोलह सोमवार व्रत विशेष रूप से दांपत्य जीवन की खुशहाली और एक मनपसंद जीवनसाथी प्राप्त करने के लिए किया जाता है। इसे श्रावण मास से शुरू करना अत्यंत फलदायी माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यह व्रत सबसे पहले मां पार्वती ने किया था, और उनकी तपस्या और व्रत के प्रभाव […]
हरिः ॐ हिरण्यवर्णां हरिणीं सुवर्णरजतस्रजाम् । चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातवेदो म आवह ॥१॥ तां म आवह जातवेदो लक्ष्मीमनपगामिनीम् । यस्यां हिरण्यं विन्देयं गामश्वं पुरुषानहम् ॥२॥ अश्वपूर्वां रथमध्यां हस्तिनादप्रबोधिनीम् । श्रियं देवीमुपह्वये श्रीर्मा देवी जुषताम् ॥३॥ कां सोस्मितां हिरण्यप्राकारामार्द्रां ज्वलन्तीं तृप्तां तर्पयन्तीम् । पद्मे स्थितां पद्मवर्णां तामिहोपह्वये श्रियम् ॥४॥ चन्द्रां प्रभासां यशसा ज्वलन्तीं श्रियं लोके देवजुष्टामुदाराम् […]
अगर आप भी श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र की उत्पत्ति, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र के फायदे, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्र का महत्व तथा अर्थ, श्री शिवाय नमस्तुभ्यं का जाप कब, कैसे और कितने बार करना चाहिए जैसी जानकारी पाना चाहते हैं तो यकीन मानिये आप बिलकुल सही जगह पे हैं। वैसे तो वेद और पुराणों में […]
दोहा श्रीगुरु चरन सरोज रज, निजमन मुकुरु सुधारि। बरनउं रघुबर बिमल जसु, जो दायक फल चारि।। बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार। बल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।। चौपाई जय हनुमान ज्ञान गुन सागर। जय कपीस तिहुं लोक उजागर।। राम दूत अतुलित बल धामा। अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।। महाबीर बिक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के […]
प्रणम्य शिरसा देवं गौरीपुत्रं विनायकम् ।। भक्तावासं स्मरेन्नित्यमायु:कामार्थसिद्धये ।।१ ।। प्रथमं वक्रतुण्डं च एकदन्तं द्वितीयकम् ।। तृतीयं कृष्णपिङ्गगाक्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम् ।।२ ।। लम्बोदरं पञ्चमं च षष्ठं विकटमेव च ।। सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्णं तथाष्टमम् ।।३ ।। नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम् । एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम् ।।४ ।। द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्यं य: पठेन्नर: । […]