श्री हनुमान चालीसा।

दोहा : श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।…

आरती हिन्दू उपासना की एक विधि है, जिसमें जलती हुई लौ को आराध्य के सामने घुमाया जाता है। इसे गहरे श्रद्धा और भक्ति के साथ गाया और प्रस्तुत किया जाता है। आरती भगवान का स्मरण और उनकी महिमा का गुणगान करती है। शास्त्रों में इसका विशेष महत्व है, और मान्यता है कि सच्चे मन से की गई आरती से इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

श्लोक

“श्लोक” एक प्रकार की काव्य रचना है जो दो पंक्तियों में बटी होती है, जिसमें किसी विषय का वर्णन या विश्लेषण किया जाता है। ये पंक्तियाँ अक्सर छंदबद्ध होती हैं, जिसमें गति, यति, और लय का सामंजस्य होता है, जिससे यह कविता आकर्षक और सुनने में सुगम बन जाती है। प्राचीन समय में ज्ञान को लिखित रूप में संरक्षित करने की परंपरा के कारण इस प्रकार की कविताएँ प्रचलित थीं। “श्लोक” को प्राचीनकाल में “अनुष्टुप छंद” के नाम से भी जाना जाता था, और आजकल संस्कृत में किसी भी छंद या पद्य को ‘श्लोक’ कहा जाता है।

मंत्र

मंत्र वह ध्वनि है जो अक्षरों और शब्दों के संयोजन से उत्पन्न होती है, जो ब्रह्मांड की सार्वभौमिक ऊर्जा के साथ समरूप होती है। इसमें दो प्रकार की ऊर्जा होती हैं – नाद (शब्द) और प्रकाश। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से, इनमें से प्रत्येक ऊर्जा दूसरी के बिना सक्रिय नहीं हो सकती। मंत्र केवल कानों से सुनने योग्य ध्वनियों का संग्रह नहीं है, बल्कि यह मंत्रों का एक आध्यात्मिक रूप भी है। ध्यान की उच्चतम अवस्था में, साधक परमेश्वर के साथ पूर्ण एकता का अनुभव करता है, जो अन्तर्यामी और सर्वज्ञ है। इस अवस्था में, साधक शब्द-ब्रह्म से अपनी इच्छित ज्ञान की प्राप्ति कर सकता है।

शाबर मंत्र

प्रत्येक मंत्र में कीलन होती है, जिसका अर्थ है कि मंत्र की शक्ति को सील कर दिया जाता है, मंत्र की शक्ति केवल निश्चित संख्या में जाप के बाद ही खुलती है, जबकि शाबर मंत्रों के मामले में उनमें कीलन नहीं होती है, इसलिए कोई भी यह पाएगा। मंत्र अपनी पहली माला से ही कार्य करता है, मंत्र जाप के दौरान किसी को भी अपने दिल की धड़कन महसूस होगी, ऐसा इसलिए है क्योंकि मंत्र द्वारा बनाई गई विशाल ऊर्जा और विशेष मंत्र के देवता लगातार आपको देख रहे हैं।

सुक्तम्

“सूक्तम” या ‘सूक्तं’ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है ‘सुंदर वचन’ या ‘मंगलकारी शब्द’। वेदों में, सूक्तम एक विशिष्ट प्रकार का मंत्र होता है, जो देवता की स्तुति या महिमा के लिए समर्पित होता है। सूक्तम का उद्देश्य किसी विशेष देवता या ब्रह्मांडीय सत्य की प्रशंसा करना होता है। इसमें देवता के विशेष गुणों, विशेषताओं, और आभूषणों का वर्णन किया जाता है। प्रमुख सूक्तमों में पुरुष सूक्तम, विष्णु सूक्तम, श्री सूक्तम, और रुद्र सूक्तम शामिल हैं।

चालीसा

चालीसा एक धार्मिक ग्रंथ है जिसमें किसी देवी या देवता की महिमा, गुण, और कृपा का विस्तार से वर्णन किया जाता है। चालीसा में कुल 40 चौपाइयों का समावेश होता है, इसी कारण इसे चालीसा कहा जाता है। उदाहरण के लिए, हनुमान चालीसा, शिव चालीसा, और दुर्गा चालीसा।

उपनिषद

उपनिषदें वास्तव में वेदों का ही एक हिस्सा हैं। वेदों के ज्ञान कांड को ही उपनिषद कहा जाता है। प्रत्येक वेद की अपनी उपनिषदें होती हैं, जिनमें गहनतम तत्व चिंतन समाहित होता है, जो संपूर्ण मानव जाति के कल्याण के लिए होता है।

अष्टोत्तर शतनामावली

अष्टोत्तर शतनामावली एक धार्मिक पाठ है जिसमें देवी या देवता के 108 पवित्र नामों की सूची होती है, जिसका उपयोग अनुष्ठान या पूजा के दौरान किया जाता है। इन नामों का जाप भक्तिपूर्वक किया जाता है।

सहस्रनाम

“सहस्रनाम” शब्द संस्कृत में “हजार नाम” का अर्थ है। सहस्रनाम एक प्रकार का पाठ है जिसमें भगवान की स्तुति और भक्ति के लिए 1000 या उससे अधिक दिव्य नामों का उच्चारण किया जाता है।

सूत्र

सूत्र एक छोटा वाक्य या वाक्यांश होता है, जो किसी महत्वपूर्ण विषय को बहुत संक्षेप में प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। उदाहरण के लिए, ब्रह्म सूत्र (जिसे वेदांत सूत्र भी कहा जाता है) में 555 सूत्र होते हैं, जो उपनिषदों के दार्शनिक और आध्यात्मिक विचारों का सार प्रस्तुत करते हैं। पतंजलि द्वारा संकलित योग सूत्र में 196 सूत्र हैं, जो अष्टांग योग और ध्यान जैसी प्रथाओं का विवरण देते हैं।

स्तोत्र

संस्कृत साहित्य में, किसी देवी-देवता की प्रशंसा में रचित काव्य को “स्तोत्र” कहा जाता है (स्तूयते अनेन इति स्तोत्रम्)। इस साहित्यिक परंपरा में, स्तोत्रकाव्य का उपयोग भगवान या देवी-देवता की महिमा, गुण, और कृपा को अभिव्यक्त करने के लिए किया जाता है, और इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को उनकी पूजा और भक्ति में प्रेरित करना है।